Kali Chaudas 2022 काली चौदस को देश में अलग-अलग नामों से भी मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर काली चौदस को नरक चौदस या रूप चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में दीपावली से पहले रूप चौदस मनाई जाती है, जिसे काली चौदस के रूप में भी जाना जाता है। रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्वलित कर यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। रूप चौदस का त्यौहार बंगाल में विशेष रूप से पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। बंगाल में इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।
24 अक्टूबर को है काली चौदस: काली चौदस को देश में अलग-अलग नामों से भी मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर काली चौदस को नरक चौदस या रूप चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर काली चौदस भी मनाई जाती है। काली चौदस मुहूर्त पर इस साल पूजा का मुहूर्त 23 अक्टूबर 2022, रात 11.42 मिनट से 24 अक्टूबर को रात में 12.33 मिनट तक रहेगा।
काली चौदस पर शक्ति की पूजा का भी महत्व: बंगाल में काली चौदस पर महाकाली या शक्ति की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि काली चौदस के दिन ही माता काली ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए नरक-चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है। काली चौदस आलस्य और बुराई को खत्म करने का दिन है जो हमारे जीवन में नरक पैदा करता है और जीवन पर प्रकाश डालता है।
काली चौदस पर करें ये काम
– घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।
– घर पर टूटे-फूटे सामान को नरक का प्रतीक माना जाता है।
– घर से बेकार के सामान को बाहर कर देना चाहिए।
– स्नान करने के बाद माथे पर तिलक लगाकर पूजा करनी चाहिए।
– कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन बजरंग बली की पूजा करने से शुभ फलों
के प्राप्त होने की मान्यता है।
– नरक चतुर्दशी के दिन शाम को 14 दीपक जलाने की परंपरा है।
– सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद घर के बाहर नाली के पास तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
– शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके चौमुखा दीपक जलाना चाहिए।
काली चौदस पर न करें ये काम
– भूलकर भी किसी जीव को न मारें।
– नरक चतुर्दशी के दिन दक्षिण दिशा को गंदा नहीं करना चाहिए।
– दक्षिण दिशा में अशुद्धि रहने से पूर्वज नाराज होते हैं।
– नरक चतुर्दशी के दिन तिल के तेल का दान नहीं करना चाहिए।
– नरक चतुर्दशी के दिन झाड़ू को भूलकर भी पैर नहीं मारना चाहिए।