कहते हैं किस्मत भी एक तरह का जुआ ही होती है, वो चाहे तो किसी को रातों रात सुपरस्टार बना सकती है तो किसी को आसमान से पल भर में ज़मी पर ले आती है। बॉलीवुड स्टार्स के साथ भी यह अक्सर होता हम आये दिन देखते ही है। बहुत सारे स्टार्स होते हैं जिनकी पहली ही फ़िल्म में इस तरह की लोकप्रियता उन्हें मिल जाती है जितनी लोग कई फिल्में करने के बाद भी हासिल नहीं कर पाते। मगर कुछ लोगों के लिए यह लोकप्रियता महज़ एक फ़िल्म तक ही सिमिति हो जाती है। इन्हीं में से एक अभिनेत्री है आशिकी फ़िल्म फिम अनु अग्रवाल, आशिकी से दमदार और सफल डेब्यू करने के बाद भी अनु अग्रवाल इस कामयाबी को ज़्यादा समय तक अपने साथ नहीं रख पाई।
अनु अग्रवाल ने यूं तो काफी सालों पहले फ़िल्म इंडस्ट्री को छोड़ दिया था मगर आज भी उन्हें आशिकी गर्ल के रूप में ही पहचाना जाता है। एक सफल डेब्यू करने के बाद भी अनु अग्रवाल को बॉलीवुड में वो जगह नहीं मिल पाई जिसकी उन्हें ख़्वाहिश थी। इसकी वजह उस समय उनकी पर्सनल लाइफ में चल रही उथल पुथल भी थी। एक इंटरव्यू में अनु अग्रवाल में अपने जीवन के तमाम संघर्षों के बारे में खुल कर अपनी बात रखी।
एक्ट्रेस ने बताया कि आशिकी के हिट होने के बाद मुझे बेहतरीन लोकप्रियता हासिल हुई। उस वक्त मेरे घर के बाहर लाइन लगी रहती थी, लोग मेरे ऑटोग्राफ लेने के लिए घण्टो लाइन में खड़े रहते थे। इन सबसे मुझे परेशानी भी होती थी, क्योंकि उस वक्त मैं सिंगल थी मुझे घर भी मैनेज करना होता था। मेरे पास उस वक्त इतने पैसे भी नहीं थे, और कोई ऐसा था भी नहीं जो ढेरो पैसे मुझे दे सके। हां एक बॉयफ्रेंड था जो शहर से बाहर रहता था। और लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप की वजह से हमारा रिश्ता भी टूटने की कगार पर था। उस वक्त मैं खुद को बहुत अकेला मेहससुस कर रही थी।
उन्होंने आगे बताया कि 90 के दशक में जब उन्हें आशिकी फ़िल्म से जबरदस्त पहचान मिल चुकी थी। वे इस पहचान को मौके में तब्दील करना चाहती थी। यही वजह है कि उन्होंने इसके बाद विदेशों में भी काम तालाश करने की कोशिश की। वे अमेरिका के लॉस एंजेलिस में गयी वहां उन्हें एक बड़ा मॉडलिंग प्रोजेक्ट भी मिला, मगर जब उन्होंने पूछा कि उन्हें इस स्कीन टोन के साथ लीड में रहने का मौका मिलेगा तब उन्हें मना कर दिया गया। क्योंकि वहां फेयर कलर वाली मॉडल को ही लीड पर रखा जाता था। मगर अनु को लीड ही चाहिए था, उनके अनुसार भले मुझे अच्छे पैसे मिल रहे थे मगर मुझे लीड में नहीं रखा जा रहा था। इसलिए मैं वापस भारत आ गयी और योगा सिखाने लगी।