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इस मंदिर में स्त्री रूप में विराजित हैं शिवलिंग, साल में सिर्फ एक बार 12 घंटे के लिए खुलता है

Posted on October 15, 2022

शिवलिंग के स्त्री रूप की होती है पूजा, रेंगकर दर्शन करते हैं भक्त, सूनी कोख भी भर जाती है
भारत में वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन कुछ अपनी खास अलग पहचान रखते हैं। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले का माता लिंगेश्वरी का मंदिर (Lingeshwari Temple) भी कुछ ऐसा ही है। यहां भगवान शिव की एक शिवलिंग है जो कि माता के रूप में विराजित है। इस मंदिर की खास बात ये है यह साल में सिर्फ एक बार खुलता है और वह भी बस 12 घंटों के लिए। तो चलिए इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जान लेते हैं।

लिंगेश्वरी माता मंदिर की रोचक बातें
1. लिंगेश्वरी माता का मंदिर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के ग्राम आलोर से 3 किमी दूर झांटीबन में स्थित है। यह मंदिर काफी ऊंचाई पर एक गुफा में बना है। इसलिए यहां लोग खड़े होकर नहीं बल्कि रेंगकर माता के दर्शन करने जाते हैं।

2. लिंगेश्वरी माता का मंदिर हर साल भादो महिना की नवमी तिथि के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को खोला जाता है। यह सिर्फ 12 घंटे तक ही खुला रहता है। इस दौरान माता के दर्शन करने को सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।

3. मंदिर में खीरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस प्रसाद को चढ़ाकर इसे ग्रहण करने से हर मुराद पूरी होती है। आपको इस मंदिर में घुसते ही चारों तरफ खीरे की महक आने लगेगी। मंदिर के बाहर प्रसाद के लिए भारी मात्र में खीरा बिकता है।

4. मान्यता है कि जिन लोगों को संतान नहीं हो रही उन्हें यहां आकर माता को खीरे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इसके बाद कपल को यह खीरा अपने नाखूनों से तोड़कर आधा-आधा ग्रहण करना चाहिए। इससे उनकी सूनी कोख भर जाएगी।

5. चुकी मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है तो यहां भारी मात्रा में भीड़ होती है। ऐसे में मंदिर समिति एवं जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर तैयारी में जुट जाते हैं। भीड़ और गलत गतिविधियों को कंट्रोल करने के लिए यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहते हैं।

6. यहां हर वर्ष मंदिर के खुलने पर गुफा के अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों को देखकर पेनपुजारी सालभर की भविष्यवाणी करता है। हर साल इसमें अलग-अलग जीव जंतुओं के पद चिन्ह उभरते हैं।

7. उदाहरण के लिए रेत पर कमल फूल का निशान धन संपत्ति वृद्धि, हाथी पांव का निशान परिपूर्ण धनधान्य, घोड़े के खुर का निशान युद्ध और कला, बिल्ली के पैर का निशान भय, बाघ के पैर का निशान जंगली जानवरों का आतंक और मुर्गी के पैर का निशान अकाल दर्शाता है।

8. लिंगेश्वरी माता का मंदिर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में स्थित है। इसलिए कुछ लोग यहां आने से डरते भी हैं। लेकिन जो माता के असली भक्त होते हैं वह बिना किसी भय के यहां जरूर आते हैं।

9. लिंगेश्वरी माता मंदिर में एक शिवलिंग है। हालांकि मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव माता रूप में विराजित (Lord Shiva worship in female form) हैं। यह शिव व शक्ति के समन्वित स्वरूप है। इसलिए इनका नाम लिंगाई माता पड़ गया।

10. यहां देखें लिंगेश्वरी माता मंदिर की कुछ झलकियां।

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