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मिशन गुजरात का आगाज… मोदी ने सूरत और भावनगर को ही क्यों चुना? समझिए

Posted on September 30, 2022

2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटों अधिक जीतकर जिस मजबूती का संकेत दिया था। लगातार विधायकों केपार्टी छोड़ने से कमजोर होने का ठप्पा लग गया है। ऐसे डबल इंजन की ताकत से लैस बीजेपी की कोशिश है कि गुजरात में इस बार ज्यादा सीटें जीतकर एक बड़ा माहौल बनाया जाए, इसके लिए पटेल और पाटिल की जोड़ी खूब मेहनत भी कर रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) की नई-नई गारंटी पार्टी नींद उड़ा रही है।

गुजरात में नवरात्रि के महापर्व खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद लोकतंत्र का उत्सव शुरू होगा। चुनावों की दहलीज पर खड़े गुजरात में प्रधानमंत्री के दौरे पर सबकी नजरें थीं, कि आम आदमी पार्टी (आप) के आक्रामक प्रचार के बीच जब प्रधानमंत्री अपने गृह राज्य पहुंचेंगे तो किस अंदाज में नजर आएंगे? सूरत के लिंबायत एयरपोर्ट पर जब प्रधानमंत्री उतरे, तो वह जोश से भरे हुए थे। भव्य रोड शो के बाद वे नीलीगिरी ग्राउंड पहुंचे और कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सूरत को सेतुओं का शहर, श्रम का शहर और सबकी चिंता करने वाला शहर बताकर कहा कि इस शहर की तरक्की के बारे में पूर्व की दिल्ली सरकार ने नहीं सोचा। उन्होंने एयरपोर्ट का जिक्र करके निशाना भी साधा। इसके बाद वे भावनगर गए और उसे सौराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी करार दिया। लंबे अर्से बाद जाने के लिए माफी भी मांगी, लेकिन इस सब से बीच बड़ा सवाल यह है कि पीएम ने अपने दौरे की शुरुआत सूरत से ही क्यों की? और इसके बाद वे खासतौर पर भावनगर और बनासकांठा क्यों गए?

60 सीटों पर पड़ा प्रभाव: गुजरात की राजनीति की समझ रखने वाले लोगों के कहना है कि पिछले कुछ सालों में आम आदमी पार्टी ने सूरत में अपना स्पेस क्रिएट किया है। आप भावनगर और बनासकांठा की बेल्ट में भी सक्रिय है? दूधसागर डेयरी में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी भी इसी इलाके में अर्बुदा सेना के जरिए अपनी ताकत बढ़ा रहे थे? पीएम के तूफानी दौरे से भाजपा ने अपने मिशन गुजरात का आगाज तो कर ही दिया है। चुनावों की घोषणा से पहले ही पीएम ने सूरत और नवसारी की 20 सीटों, भावनगर की 7, अहमदाबाद की 20 सीटों, गांधीनगर 4 और बांसकांठा की 8 सीटों को मिलाकर 60 सीटों पर पार्टी के पक्ष माहौल बनाकर आधा काम चुनाव से पहले ही निपटा दिया है। इसे राजनीतिक विश्लेषक मोदी के मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देख रहे हैं। कांग्रेस की मौजूद मौजूदा सक्रियता को देखकर ऐसा लगता है पार्टी को चुनावों की घोषणा का इंतजार है। तो वहीं आम आदमी पार्टी की कैंपेन और मीडिया कवरेज केजरीवाल के पर टिकी हुई है।

सबसे बड़े स्टार प्रचारक: मोदी भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। अपने गृह राज्य में उनके चाहने वालों की सूची लंबी है। रोड शो कुछ युवा दिल के ऊपर मोदी के टैटू को गुदवा कर पहुंचे। जब पीएम गुजरात पहुंचे तो विपक्ष का कोई बड़ा नेता राज्य में नहीं था। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने एक दिन पहले प्रेस ब्रीफिंग की। ऐसे में जब पीएम दो दिन के दौरे में पांच जिलों के भ्रमण के साथ 10 से अधिक कार्यक्रम कर रहे हों। 26,000 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करने वाले हो तो ऐसे में उनके तमाम आरोपों को न मीडिया में जगह मिल पाई। न हो वे ध्यान खींच पाए। मोदी के अपने दौरे का आगाज करने की बड़ी वजह, आप जहां है उसे वही खत्म किया जाए और जहां संभावना है वहां उसे पहले ही काउंटर कर दिया जाए। भावनगर को बात करें तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसी इलाके में पहुंचे थे और शिक्षा मंत्री ने गुजरात के शिक्षा मंत्री के क्षेत्र के स्कूलों पर हमला बोला था। इसके बाद जुबानी वार पलटवार के साथ सोशल मीडिया पर खूब विवाद हुआ था। जब मोदी भावनगर की चुनौतियों को कैसे उन्होंने अवसर में बदला की बात कर रहे थे तो जीतू वाघाणी ताली बजा रहे थे। ये कहीं न कहीं उनके लिए राहत की बात थी।

लगी है दिग्गजों की प्रतिष्ठा: अहमदाबाद सीधे सीएम से जुड़ा हुआ तो सूरत-नवसारी हर्ष संघवी और सीआर पाटिल के साथ साथ रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोश से कनेक्ट है। यहां पार्टी के कमजोर हुई तो इन पर सीधा असर पड़ेगा। इसी प्रकार भावनगर के लिए जीतू वाघानी जिम्मेदार और बनासकांठा की बेल्ट में पूर्व मंत्री शंकर चौधरी और ऋषिकेश पटेल स्टेक है। अब देखना यह है कि कई कर्मचारी वर्गों के आंदोलन का सामना कर रही भूपेंद्र सरकार का रुख पीएम के दौरे के बाद क्या रहता है? तो वहीं केजरीवाल जब फिर से गुजरात आएंगे तो वे कैसे भाजपा पर प्रहार करते हैं। फिलहाल सड़क से।लेकर सोशल मीडिया और सभी जगह मोदी, मोदी और मोदी हैं। अंत में यही कहूंगा कि बीजेपी इसलिए गुजरात में अजेय है क्यों कि वह खतरे को न सिर्फ भांप लेती है बल्कि उसका इलाज भी कर लेती है। प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य में अगर आप का प्रवेश हुआ तो इसके राजनीतिक संदेश दूर तक जाएंगे। शायद बीजेपी इसे समझ चुकी है और आप पर चुप्पी की यही बड़ी वजह भी है।

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