पाकिस्तान को एफ़-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए विशेष सस्टेनमेन्ट प्रोग्राम को मंज़ूरी के मामले में अमेरिका ने सफाई दी है. अमेरिका का कहना है कि यह फ़ैसला लेने से पहले उसने भारत से इस बारे में चर्चा की थी.
इससे पहले मीडिया में ऐसी ख़बरें आई थीं कि भारत ने पाकिस्तान के साथ एफ़-16 समझौते को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने 11 सितंबर को एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें कहा गया था कि पिछले दिनों अमेरिकी अधिकारी डोनाल्ड लू भारत के दौरे थे और इस दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस सौदे के बारे में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी.
शुक्रवार को इस बारे में फिर एक बार अख़बारों में ख़बरें छपी हैं जिनमें कहा गया है कि अमेरिका ने इस सौदे को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में छपी ख़बर के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में इंडो-पैसिफ़िक सिक्योरिटी अफ़ेयर्स के सहायक मंत्री एली रैटनर ने कहा कि इस डील का मतलब भारत को रूस के साथ बेहतर रिश्तों की वजह से नीचा दिखाना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस डील के संबंध में पहले और इसके दौरान सारी जानकारी दी गई थी.
एली रैटनर ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि, ”अमेरिकी सरकार का यह फ़ैसला पाकिस्तान के साथ हमारी रक्षा साझेदारी को बढ़ाने के लिए किया गया, जो मुख्य तौर पर आतंकवाद और परमाणु सुरक्षा पर केंद्रित है.”