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मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरूर, कांग्रेस के लिए कौन बेहतर सबित हो सकता है अध्यक्ष? जानिए वरिष्ठ पत्रकारों की राय

Posted on October 17, 2022

‘ये कांग्रेस पार्टी पर कब्जे की राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की लड़ाई है, जो अंदर ही अंदर चल रही है लेकिन बाहर दिखाई नहीं दे रही है’.देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के लिए उम्मीदवारों का नाम तय हो गया है. कांग्रेस में इस पद के लिए पूरे 22 साल बाद मतदान की स्थिति बन रही है. चुनाव के लिए दो उम्मीदवारों के नाम मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर है. इस दोनों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला है.

एक तरफ 53 सालों से राजनीति में सक्रिय मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के दौरान पार्टी के 30 दिग्गज नेता उनके प्रस्तावक बने जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एके एंटनी, पवन बंसल और दिग्विजय सिंह शामिल हैं.

तो वहीं दूसरी तरफ तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर जो कि स्वतंत्र विचारों वाले नेता हैं. थरूर को फिलहाल कांग्रेस के जी-23 समूह के नेता के तौर पर देखा जाता है जिसको गांधी परिवार से बगावत करने वाला समूह कहा जाता है. शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक, लोकप्रिय किताबों के लेखक और 83 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स के साथ सोशल मीडिया की सबसे लोकप्रिय हस्तियों में शुमार हैं.

इस मुकाबले में शशि थरूर की छवि बुद्धिजीवी नेता के तौर पर है तो दूसरी ओर लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले वयोवृद्ध नेता खड़गे हैं. लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरूर, कौन कांग्रेस के लिए बेहतर अध्यक्ष साबित हो सकते हैं? ये बड़ा सवाल है.

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरूर, कौन कांग्रेस के लिए बेहतर अध्यक्ष साबित हो सकते है? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि शशि थरूर वास्तव में प्रियंका वाड्रा की ओर से उम्मीदवार हैं. अगर शशि थरूर कांग्रेस का अध्यक्ष बनते हैं, जिसकी उम्मीद बेहद ही कम है, या यूं कहें कि जिनकी उम्मीद ना के बराबर है, तो परिवार की लड़ाई और तेज हो जाएगी.

ये कांग्रेस पार्टी पर कब्जे की राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की लड़ाई है, जो अंदर ही अंदर चल रही है लेकिन बाहर दिखाई नहीं दे रही है. वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे सोनिया गांधी के उम्मीदवार हैं.

प्रदीप सिंह का दावा है कि राहुल गांधी दिग्विजय सिंह को चाहते थे लेकिन उनके नाम पर सोनिया नहीं मानीं. इसलिए मान सकते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संयुक्त उम्मीदवार हैं.प्रदीप सिंह का ने कहा कि शशि थरूर अगर अध्यक्ष बनते हैं तो उनके सामने चुनौती होगी कि जी-23 के सदस्यों ने जो मुद्दे उठाए थे उसका समाधान खोजना.

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं, ‘अब सवाल ये है कि दोनों नेताओं में बेहतर अध्यक्ष कौन साबित होगा. रुझान के मुताबिक खड़गे को गांधी परिवार का समर्थन है. गांधी परिवार के ही इशारों पर दिग्विजय सिंह ने दावेदारी न ठोक कर खड़गे के लिए रास्ता साफ किया है. खड़गे के सिलेक्शन के पीछे सबसे बड़ी वजह उनकी उम्र है. खड़गे 80 साल के हैं और 2024 लोकसभा चुनाव तक 82 साल के हो जाएंगे. पार्टी के अंदर उनके अलावा कोई और अध्यक्ष बनता तो राहुल के लिए भविष्य में चुनौती हो सकता था, लेकिन खड़गे के मामले में में ऐसा नहीं है. ऐसे में अगर थरूर जीतते हैं तो प्रियंका गांधी राहुल गांधी के मजबूत होंगी. पार्टी में ज्यादा उनकी चलेगी. इसके अलावा अगर अनुभव के लिहाज से भी बात करें तो खड़गे, थरूर पर भारी पड़ते दिखते हैं’.

कांग्रेस को मिलेगा लीडरशिप का मौका: ABP से बातचीत करते हुए रशीद किदवई कहते हैं, ‘अगर शशि थरूर को कामयाबी मिलती है तो वो न सिर्फ कांग्रेस की राजनीति बल्कि देश की राजनीति में एक नया उफान लाएंगे. और ये लगेगा कि कांग्रेस पुनर्जीवित हो रही है’.

रशीद किदवई ने कहा, ‘ देश का जो मध्यम वर्ग है, आज जिसकी बड़ी संख्या है, जो कांग्रेस के समय अलग नजर आता था उसको कांग्रेस से जोड़ने का अच्छा मौका मिलेगा और देश के राजनीतिक दलों में जो आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है, उसको खत्म करेगा और उसमें कांग्रेस को अपनी लीडरशिप का मौका मिल जाएगा’.

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई का ये भी मानना है कि कांग्रेस के पुनर्जिवित होने पर अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और जो गैर-बीजेपी वाले दूसरे राजनीतिक दल हैं उनको भी बहुत ज्यादा नुकसान होगा. लेकिन ये एक काल्पनिक प्रश्न है, उसका मैंने उत्तर दिया’.

राशिद किदवई कहते हैं कि इस समय गेंद जो है वो नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में हैं. अगर 10 जनपथ से यह संदेश जाता है कि वो किसी भी उम्मीदवार के हक में या उसके विरोध में नहीं हैं और वो अगर इस तरह की अपील करें कि जो मतदाता हैं वो अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए वोट दें तो मुझे लगता है कि स्थिति काफी दिलचस्प हो जाएगी.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सौरभ ने abp न्यूज से बातचीत में साफ कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के ‘आधिकारिक’ उम्मीदवार हैं. नामांकन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ जिस तरह के लोग दिखे उससे तो लगता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे का जीतना लगभग तय है. राहुल गांधी के नाम पर मल्लिकार्जुन को वफादार माना जाता है इसलिए अगर उनकी तुलना में शशि थरूर की बात करें तो मल्लिकार्जुन खड़गे का राजनीति में 53 सालों का अनुभव रहा है, लेकिन थरूर की अपनी विशेषताएं हैं.

‘हाईकमान कल्चर की एक्सपायरी डेट आ गई है’ शशि थरूर के Abp को दिए अपने एक इंटरव्यू में पत्रकार प्रदीप सौरभ याद करते हुए कहते हैं कि उसमें उन्होंने (शशि थरूर) कहा था कांग्रेस में जो हाईकमान कल्चर है उसकी एक्सपायरी डेट आ गई है. अभी कांग्रेस को विकेंद्रीकरण करने की जरूरत है. फैसले सीधे ऊपर से नहीं, नीचे से होने चाहिए.

एबीपी की ओर से जब ये सवाल पूछा गया कि शशि थरूर बुद्धिजीवी हैं लेकिन क्या वो कांग्रेस के लिए अच्छे अध्यक्ष साबित हो सकते हैं. इस पर पत्रकार रशीद किदवई ने कहा कि आज कांग्रेस में बहुत कम ऐसे लोग हैं जो लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीते हैं. शशि थरूर उस श्रेणी में आते हैं. इस बात का मतलब है कि लोगों को संज्ञान लेना चाहिए. किदवई ने कहा कि शशि थरूर को राजनीति की समझ है, खासतौर से अंतरराष्ट्रीय मामलों के जो जानकार हैं. इस समय कांग्रेस में ऐसे लोग बहुत कम हैं. तो इन सब चीजों को देखें तो शशि थरूर की अपनी एक पोजीशन है.

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