कांग्रेस के नेताओं में भी दबी जुबान इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर राजस्थान के प्रभारी अजय माकन को लेकर अंदर ही अंदर पनप रहे इतने बड़े विद्रोह की जानकारी आखिर आलाकमान को हुई क्यों नहीं?राजस्थान में हुई कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों की बगावत में कांग्रेस के ही एक बड़े नेता की रणनीतिक चूक सामने आ रही है। दरअसल पार्टी ने जिस नेता को राजस्थान का प्रभारी बनाया उसके लिए पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर शुरुआत से देखने को मिल रहे थे। जानकारों का कहना है कि यह गुस्सा तब और भड़क गया जब राजस्थान के प्रभारी को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह विधायकों की बैठक में नए नेता का नाम चुनकर आलाकमान को बताए। राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों का भी मानना है कि पार्टी के प्रभारी अजय माकन को लेकर शुरुआत से ही राजस्थान के नेताओं में एकजुटता नहीं दिखी। कांग्रेस के नेताओं में भी दबी जुबान इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर राजस्थान के प्रभारी को लेकर कांग्रेस आलाकमान को अंदर ही अंदर पनप रहे इतने बड़े विद्रोह की जानकारी आखिर हुई क्यों नहीं।
राजस्थान कांग्रेस में सरकार बनने के साथ से ही सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक डीडी शर्मा कहते हैं कि 2018 में सत्ता पाने के बाद ही यह तय नहीं हो पाया था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। वहां यह अनुमान लगाना कि सब कुछ सही चल रहा है खुद को धोखा देने जैसा ही है। शर्मा कहते हैं कि जैसे-तैसे राजस्थान में मुख्यमंत्री का चयन तो हो गया लेकिन उस चयन के साथ ही एक गतिरोध और एक बड़ा विरोध अंदर ही अंदर पनपने लगा। 4 साल तक राजस्थान कांग्रेस में जबरदस्त अंतर्कलह मची रही। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को नहीं थी। सचिन पायलट और अशोक गहलोत में खुली जंग चल रही थी। केंद्र के कई नेता सचिन पायलट के साथ थे तो कई नेता अशोक गहलोत के साथ जुड़े हुए थे। राजनीतिक विश्लेषक डीडी शर्मा कहते हैं कि अंदर ही अंदर दोनों नेताओं के चाहने वालों का विरोध तब विस्फोट हो गया जब राजस्थान के प्रभारी अजय माकन जयपुर पहुंचे।
क्या अजय माकन सचिन पायलट को लेकर के सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे?
राजस्थान के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजय माकन को लेकर पहले से ही पार्टी में विरोध बरकरार था। इसकी प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि अजय माकन सचिन पायलट को लेकर के सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे। राजस्थान कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जब राज्य में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर के चर्चा हो रही थी या उसके बाद जब भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच में विवाद गरमाया तो अजय माकन का झुकाव वर्तमान मुख्यमंत्री की ओर स्पष्ट नहीं रहा। पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता का कहना है कि जब आलाकमान ने अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी बनाया तो चर्चाएं उसी दौरान शुरू हो गई थीं कि देर सवेर राजस्थान में विस्फोट होना ही है। राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि यह राजनीतिक विस्फोट ऐसे समय होगा इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था। उनका कहना है कि ऐसा नहीं है कि अजय माकन को राजस्थान में चल रही गतिविधि के बारे में जानकारी नहीं थी। विश्लेषकों का मानना है कि संभव है अजय माकन ने इस बारे में कांग्रेस आलाकमान को भी सूचना दी होगी। बावजूद इसके कहीं न कहीं ऐसी चूक रही कि जिस नेता से राजस्थान के विधायक या पार्टी के कद्दावर नेता नाराज थे उनको ही बहुत बड़े मिशन पर लगा दिया गया और नतीजा राजस्थान में कांग्रेस के बड़े विरोध के तौर पर सामने आ गया।
कांग्रेस के मंत्री धारीवाल ने अजय माकन पर आरोप लगाया
राजस्थान में कांग्रेस के मंत्री धारीवाल ने अजय माकन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक षड्यंत्र के चलते अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए ही जयपुर आए थे। उन्होंने आरोप लगाते हुए यह तक कहा कि जब सचिन पायलट अपनी सरकार गिराने की कोशिश में लगे थे उसको पार्टी के सेक्रेटरी जनरल इंचार्ज अजय माकन मुख्यमंत्री बनवाने के लिए आए थे। उनका विरोध तो निश्चित होना ही था। पार्टी के ही कई विधायकों ने और मंत्रियों ने अजय माकन के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि वह राजस्थान के नेताओं को सचिन पायलट के समर्थन में जुड़ने के लिए हमेशा से कहते रहते थे। पार्टी के नेता और राजस्थान के मंत्री धारीवाल कहते हैं कि उनको मल्लिकार्जुन खड़गे से कोई भी शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि खड़गे एक सुलझे हुए और कद्दावर नेता हैं। लेकिन अजय माकन को लेकर पार्टी के नेताओं ने नाराजगी जताई।
राजस्थान के प्रभारी को लेकर राज्य के नेताओं में ही मनमुटाव था
कांग्रेस के पूरे विवाद को लेकर पार्टी के ही कुछ नेताओं का कहना है कि अगर राजस्थान के प्रभारी को लेकर राज्य के नेताओं में ही मनमुटाव था तो पार्टी को वहां पर किसी और नेता को ही भेजना चाहिए था। हालाकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यह सब कुछ अजय माकन की नाराजगी की वजह से नहीं बल्कि अशोक गहलोत की पॉलिटिक्स की वजह से हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसका पूरा ठीकरा अशोक गहलोत के ऊपर ही फोड़ते हैं। उनका कहना है कि अगर अशोक गहलोत की नेक नियत साफ और स्पष्ट होती तो वह अपने नेता विधायक और मंत्रियों को इस तरीके की हरकत करने से मना करते। वह कहते हैं कि इतना सब कुछ होने के बाद भी अशोक गहलोत की ओर से अगर कोई जवाब नहीं आया है तो निश्चित तौर पर यह उनकी मूक सहमति ही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अजय माकन को दोषी देना या अंदरूनी राजनीति को सामने लाना ठीक नहीं है। उनका कहना है कि निश्चित तौर पर अजय माकन को इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी और पार्टी के बड़े नेताओं को भी इस बात का एहसास होना चाहिए था कि जिस नेता को राज्य का प्रभारी बनाया गया है क्या उसकी पकड़ और एक्सेप्टेंस पार्टी के नेताओं में है या नहीं।