भारत या विश्व के कोई भी राजा महाराजा हों उनके पास दास- दासियों की बड़ी संख्या होती थी I इन दासों के द्वारा राज्य के प्रतिदिन के दिनचर्या के कार्य कार्यान्वित किये जाते थे। जब भी कोई राजा किसी दूसरे राज्य पर हमला करके उसे हरा देता था। तो उस राज्य के सभी संपत्ति पर उसका अधिकार हो जाता था।
हि’न्दू और मु’स्लिम राजा महल की स्त्रियों की शिक्षा की व्यवस्था महल में ही करवाते थे। रानी और राजकुमारी के साथ जो दासियाँ लगाई जातीं थी। वह अत्यंत सुशिक्षित, यु’द्ध कला में निपुण,सुन्दर होती थीं। जिससे राजकुमारियों पर प्रभाव पड़े। युद्ध में हारे हुए राजपरिवार के महल की बेशकीमती चीजें जीते हुए राजा के राजमहल में भेज दी जाती थीं।
यु’द्ध में हारे हुए राजपरिवार के पुरुष सदस्यों को हिन्दू राजा छोड़ देते थे, या का’रा’गार में डाल देते थे। और रानी को अपने हरम महल में रख देते थे। जबकि मु’स्लिम सुलतान हारे हुए पुरुष राजपरिवार के सदस्यों को जनता के सामने इतनी द’र्द’नाक मौ’त मारते थे की, देखने वाले की रू’ह काँ’प जाये। बलबन और अलाउद्दीन खि’लजी ने कुछ राजाओ को युद्ध में हराकर उनके सि’रों को का’ट’कर २०-३० फिट ऊंची दीवारें बनवायी थीं।
स्त्रियां अपने प्राण निछावर कर देती थी: राजपरिवार की दासियों से लेकर महारानी तक को राजदरबार में सुल्तान के फरमान से बुलाया जाता था। महारानी और राजकुमारियों को सुल्तान की सेवा में लगा दिया जाता था। और शेष को घुड़सवारों, पैदल सेना में बाँट दिया जाता था।
यह सभी काम करने पड़ते थे दासियों को: हि’न्दू और मु’स्लिम राजा महल की स्त्रियों की शिक्षा की व्यवस्था महल में ही करवाते थे। रानी और राजकुमारी के साथ जो दासियाँ लगाई जातीं थी। वह अत्यंत सुशिक्षित, युद्ध कला में निपुण,सुन्दर होती थीं। जिससे राजकुमारियों पर प्रभाव पड़े.विवाह उपरांत राजकुमारी के साथ बहादुर, बुद्धिमान एक या दो दासियों को भेजा जाता था।
जो राजकुमारी के जीवन की रक्षा कर सकें क्योंकि राजपरिवार में षड्यंत्र बहुत रचे जाते थे। इन दासियों का कार्य राजकुमारी को शासन के कार्यों से सम्बन्धी सूचनाएं देना होता था। और पुत्र उत्तराधिकार प्राप्त करेगा या नहीं। इन दासियों को आजीवन अविवाहित रहना होता था। और अपनी राजकमारी- महारानी और उनके पुत्रों के जीवन की रक्षा करना होता था।