फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा कहलाने वाली देविका रानी का जन्म 30 मार्च 1908 को विशाखापट्टनम में हुआ था, 86 उम्र की में उन्होंने ने 9 मार्च 1994 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। देविका उस वक्त फिल्मों में आई जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने भी नहीं दिया जाता था, इसलिए देविका इस नए समाज के लिए एक उदाहरण बन चुकी थी। आपको बताते चलें कि देविका रानी ही वो अभिनेत्री है जिसने भारतीय सिनेमा को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर ले जाने का काम किया था। उस दौरान उनके अभिनय की तुलना ग्रेटा गार्बो से की जाती थी, यही वजह है कि उन्हें ‘इंडियन गार्बो’ के नाम से भी जाना जाता था।
अगर बात करें देविका रानी के बारे में तो वे नौ साल की उम्र में ही पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चली गईं थीं। यहीं से उन्होंने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में एक्टिंग की पढ़ाई की थी। वहां एक्टिंग के साथ ही देविका ने टेक्सटाइल डिजाइन, डेकोर और आर्किटेक्चर की भी पढ़ाई की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद देविका जब भारत लौटीं तो वे अपना करियर हिंदी फिल्मों में बनाना चाहती थीं लेकिन उनका परिवार इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था।
इसी दौरान देविका की मुलाकात फिल्म निर्माता हिमांशु रॉय से हुई थी। हिमांशु देविका की खूबसूरती से इतना प्रभावित हुए कि साल 1933 में उन्होंने देविका को अपनी फिल्म ‘कर्मा’ में कास्ट कर लिया। यह किसी भारतीय द्वारा बनी पहली अंग्रेजी बोलने वाली फिल्म थी।देविका ने फिल्म ‘कर्मा’ में 4 मिनट का लिप लॉक किसिंग सीन देकर सभी को चौंका दिया था। इस सीन के बाद देविका की काफी आलोचना हुई और फिल्म को प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
बाद में हिमांशु और देविका ने शादी कर ली। दोनों की उम्र में 16 साल का फर्क था। देविका और हिमांशु रॉय ने साथ मिलकर बॉम्बे टॉकीज नाम का स्टूडियो बनाया था। इस बैनर की पहली फिल्म ‘जवानी की हवा’ थी, जो साल 1935 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में साथ काम करने के दौरान देविका और नजमुल के बीच की नजदीकियां बढ़ने लगीं। एक रात दोनों गायब हो गए। जब खोज की गई तो वे कोलकाता के एक होटल में पाए गए।