ओड़िशा (Odisha) के पुरी (Puri) में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर (Shree Jagannatha Temple) जो 10 वीं शताब्दी निर्मित प्राचीन मंदिर सप्त पुरियों में एक है, को पुराणों में धरती का वैकुंठ धाम कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु का अवतार पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में हुआ था, जो आगे चलकर सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए।
जगन्नाथ मंदिर पूरे विश्व में अपनी अलौकिकता और भव्यता के लिए मशहूर है। साथ ही यह अपनी मान्यताओं के लिए भी काफी प्रचलित है। भगवान श्रीविष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित इस मंदिर के बारें में यह कहा जाता है कि कोई भी यदि सच्चि भावना से भगवान जगन्नाथ के दरबार में जाता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है।
इसी कड़ी में हम इस मंदिर की कुछ ऐसी बातों के बारें में चर्चा करेंगे, जो पूरी दुनिया के लिए आज भी रहस्य बना हुआ है।
मंदिर के गुम्बद पर लहराता ध्वज: मन्दिर के शिखर पर स्थित झंडा की खास बात यह है कि यह हमेशा हवा के उल्टी दिशा में लहराता है।
मंदिर के शीर्ष पर स्थित सुदर्शन चक्र: जगन्नाथ मंदिर (Jagannatha Temple) के शीर्ष पर स्थित सुदर्शन चक्र को पुरी के किसी भी कोने से देखने पर सदैव यह प्रतीत होता है कि यह हमारे सामने ही है।
प्रसाद बनाने का तरीका: इस मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है। इसकी विशेषता यह है कि प्रसाद बनाने की प्रक्रिया में सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है।
सिंहद्वार: मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र के लहरों की आवाज सुनाई देने लगती है। शाम के समय यह अहसास और भी अलौकिक हो जाता है।
मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते हैं पक्षी और जहाज: हम सभी ने ऐसे कई मंदिर देखे हैं जिसके शिखर पक्षी को बैठते देखा है लेकिन जगन्नाथ मंदिर के शिखर से कोई भी पक्षी नहीं गुजरता है। इसके अलावा इस मंदिर से ऊपर से हवाईजहाज भी नहीं गुजरता है।
अनाज की नहीं होती है कमी: प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने के लिए लगभग 20 हजार लोग मंदिर पहुंचते हैं और भोजन भी करते हैं। इसके बावजूद भी अनाज की कमी नहीं होती और पूरे वर्ष के लिए भण्डार भरा रहता है।
झंडा: मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर लगे झंडे को एक पुजारी प्रतिदिन बदलता है। झंडा बदलने के पीछे यह मान्यता है कि यदि एक दिन के लिए भी इस झंडे को नहीं बदला गया तो यह मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो सकता है। झंडा बदलने की यह परंपरा 1800 वर्षों से चली आ रही है।
मंदिर की छाया: जगन्नाथ मंदिर को इस तरीके से निर्मित किया गया है कि दिन के किसी भी समय इस मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती है।
चक्र:मंदिर के शिखर पर लगे चक्र का इतिहास 200 वर्ष पुराना है और यह सभी के लिए एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है।
उल्टी हवा हम सभी को यह पता है कि दिन में हवा समुद्र से धरती की ओर बहती है और शाम के समय जमीन से समुद्र की तरफ लेकिन पुरी (Puri) में हवा का प्रवाह इसके विपरीत होता है।